' देश प्रेम , स्वतंत्रता की रक्षा , संस्कृति और धर्म के क्षरण को रोकने के लिए जिन - जिन महापुरुषों ने भी बलिदान किये हैं वे भले ही स्थूल जीवन का आनन्द अधिक समय तक न ले सके हों पर काल पर विजय प्राप्त कर महामानव बनने का श्रेय उन्हें ही प्राप्त होता रहा है । '
हमें आजादी मुफ्त में नहीं मिली अनेक देशभक्तों के रक्त से इस स्वतंत्रता का निर्माण हुआ है ।
वे मर कर भी अमर हो गये और पीछे वालों को मनुष्य जीवन सफल कर जाने का पथ दरशा गये ।
महान देशभक्त क्रान्तिकारी अशफाक उल्ला एक हिन्दी कविता की कुछ पंक्तियाँ हैं ----
हे मातृभूमि तेरी सेवा किया करूँगा ।
फाँसी मिले मुझे या हो जन्म कैद मेरी ।
वीणा बजा - बजा कर तेरा भजन करूँगा ।
हमें आजादी मुफ्त में नहीं मिली अनेक देशभक्तों के रक्त से इस स्वतंत्रता का निर्माण हुआ है ।
वे मर कर भी अमर हो गये और पीछे वालों को मनुष्य जीवन सफल कर जाने का पथ दरशा गये ।
महान देशभक्त क्रान्तिकारी अशफाक उल्ला एक हिन्दी कविता की कुछ पंक्तियाँ हैं ----
हे मातृभूमि तेरी सेवा किया करूँगा ।
फाँसी मिले मुझे या हो जन्म कैद मेरी ।
वीणा बजा - बजा कर तेरा भजन करूँगा ।
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