उनके विषय में उनके एक जानकार श्री एलाबिलव्काक्स
ने लिखा है –“यौवन ने उन्हें बहादुर , समय ने राजनीतिज्ञ, प्रेम ने मनुष्य घोषित
किया l मृत्यु ने उन्हें शहादत का ताज पहनाया l इस प्रकार वे मंजिल तय करते हुए
महानता की ओर बढ़ते गये l मानव जीवन में संभव सब प्रकार की विभूति और यश का
उन्होंने अनुभव किया l वे एक पवित्र और ऊँची आत्मा थे l “
जिस युग में लाला लाजपत राय ने सार्वजनिक सेवा और देशोद्धार
का का काम शुरू किया वह अति विषम और कठिनाइयों से परिपूर्ण था l उनके जीवन का
ध्येय जन-सेवा करना था l कोरी नेतागीरी से उन्हें घ्रणा थी l
30 अक्टूबर 1928 को जब साइमन कमीशन लाहौर पहुंचा तो
लालाजी ने जनता के साथ वहीँ जा कर उसका बहिष्कार किया और जुलूस को सभा में बदल
दिया और अपने ओजस्वी भाषण से जनता में जोश भर दिया l लालाजी बराबर बोलते गए और
जनता सुनती रही और ‘ साइमन वापस जाओ ‘ का नारा लगाती रही l जनता का उत्साह और लालाजी की द्रढ़ता देख कप्तान सैंडर्स से रहा न गया और उसने पुलिस को लालाजी पर
लाठियां चलाने की आज्ञा दे दी l पुलिस ने लालाजी पर लाठियां बरसानी शुरू की l जनता
में भयानक विक्षोभ की लहर दौड़ गई l लालाजी ने जनता को शान्त रहने का निर्देश करते
हुए कहा --- “ आप सब लोग शान्तिपूर्वक मेरे ऊपर होते इस अत्याचार को देखें और
विश्वास रखें कि – मेरे ऊपर होने वाली लाठी की एक – एक चोट ब्रिटिश साम्राज्य के
कफन की एक – एक कील सिद्ध होगी l “ लालाजी
तब तक बराबर बोलते और लाठी खाते रहे जब तक कि उनने अपना भाषण पूरा नहीं कर लिया l
लाठियों के भयंकर प्रहार से वे अपने स्थान से विचलित नहीं हुए – धन्य थे पंजाब
केसरी लाला लाजपत राय l
उनसे खड़ा न रह गया तो वे अपने घर लौट आये l कलेजे
में संघातिक चोटों के कारण 10 नवम्बर 1928 को देश – धर्म और समाज के लिए अपना तन,
मन और धन यहाँ तक कि जीवन देकर स्वर्ग सिधार गये l
लाला लाजपत राय एक आदर्श पुरुष थे l अपनी सक्रिय सेवाओं के साथ – साथ साहित्य सेवा
भी की --- उन्होंने मेजिनी , गैरीबाल्डी , शिवाजी , कृष्ण , दयानन्द आदि
महापुरुषों की बहुत सी शिक्षाप्रद जीवनियाँ लिखीं l ‘ आर्य समाज और भारत का राजनीतिक भविष्य ‘ नामक
उनकी पुस्तक बड़ी उपयोगी सिद्ध हुई l उनके ‘ यंग इंडिया ‘ नामक ग्रन्थ ने भारतीय
स्वाधीनता संग्राम को एक विशेष गति दी और उनके ‘ दु:खी भारत ‘ नामक ग्रन्थ का तो
जनता में अभूतपूर्व स्वागत हुआ l यह ग्रन्थ उन्होंने ‘ मिस मेयो ‘ नामक एक अंग्रेज
महिला की लिखी ‘ भारतमाता ‘ नामक पुस्तक के उत्तर में लिखा था l यह भारत तथा उसकी तत्कालीन स्थिति पर एक
प्रमाणिक ग्रन्थ माना जाता है l इसके अतिरिक्त उनके सामाजिक तथा राजनीतिक लेखों की
संख्या अपरिमित है l
उनका जीवन एक सफल और सार्थक व्यक्ति का जीवन था l
‘
उनके विषय में उनके एक जानकार श्री एलाबिलव्काक्स
ने लिखा है –“यौवन ने उन्हें बहादुर , समय ने राजनीतिज्ञ, प्रेम ने मनुष्य घोषित
किया l मृत्यु ने उन्हें शहादत का ताज पहनाया l इस प्रकार वे मंजिल तय करते हुए
महानता की ओर बढ़ते गये l मानव जीवन में संभव सब प्रकार की विभूति और यश का
उन्होंने अनुभव किया l वे एक पवित्र और ऊँची आत्मा थे l “
जिस युग में लाला लाजपत राय ने सार्वजनिक सेवा और देशोद्धार
का का काम शुरू किया वह अति विषम और कठिनाइयों से परिपूर्ण था l उनके जीवन का
ध्येय जन-सेवा करना था l कोरी नेतागीरी से उन्हें घ्रणा थी l
30 अक्टूबर 1928 को जब साइमन कमीशन लाहौर पहुंचा तो
लालाजी ने जनता के साथ वहीँ जा कर उसका बहिष्कार किया और जुलूस को सभा में बदल
दिया और अपने ओजस्वी भाषण से जनता में जोश भर दिया l लालाजी बराबर बोलते गए और
जनता सुनती रही और ‘ साइमन वापस जाओ ‘ का नारा लगाती रही l जनता का उत्साह और लालाजी की द्रढ़ता देख कप्तान सैंडर्स से रहा न गया और उसने पुलिस को लालाजी पर
लाठियां चलाने की आज्ञा दे दी l पुलिस ने लालाजी पर लाठियां बरसानी शुरू की l जनता
में भयानक विक्षोभ की लहर दौड़ गई l लालाजी ने जनता को शान्त रहने का निर्देश करते
हुए कहा --- “ आप सब लोग शान्तिपूर्वक मेरे ऊपर होते इस अत्याचार को देखें और
विश्वास रखें कि – मेरे ऊपर होने वाली लाठी की एक – एक चोट ब्रिटिश साम्राज्य के
कफन की एक – एक कील सिद्ध होगी l “ लालाजी
तब तक बराबर बोलते और लाठी खाते रहे जब तक कि उनने अपना भाषण पूरा नहीं कर लिया l
लाठियों के भयंकर प्रहार से वे अपने स्थान से विचलित नहीं हुए – धन्य थे पंजाब
केसरी लाला लाजपत राय l
उनसे खड़ा न रह गया तो वे अपने घर लौट आये l कलेजे
में संघातिक चोटों के कारण 10 नवम्बर 1928 को देश – धर्म और समाज के लिए अपना तन,
मन और धन यहाँ तक कि जीवन देकर स्वर्ग सिधार गये l
लाला लाजपत राय एक आदर्श पुरुष थे l अपनी सक्रिय सेवाओं के साथ – साथ साहित्य सेवा
भी की --- उन्होंने मेजिनी , गैरीबाल्डी , शिवाजी , कृष्ण , दयानन्द आदि
महापुरुषों की बहुत सी शिक्षाप्रद जीवनियाँ लिखीं l ‘ आर्य समाज और भारत का राजनीतिक भविष्य ‘ नामक
उनकी पुस्तक बड़ी उपयोगी सिद्ध हुई l उनके ‘ यंग इंडिया ‘ नामक ग्रन्थ ने भारतीय
स्वाधीनता संग्राम को एक विशेष गति दी और उनके ‘ दु:खी भारत ‘ नामक ग्रन्थ का तो
जनता में अभूतपूर्व स्वागत हुआ l यह ग्रन्थ उन्होंने ‘ मिस मेयो ‘ नामक एक अंग्रेज
महिला की लिखी ‘ भारतमाता ‘ नामक पुस्तक के उत्तर में लिखा था l यह भारत तथा उसकी तत्कालीन स्थिति पर एक
प्रमाणिक ग्रन्थ माना जाता है l इसके अतिरिक्त उनके सामाजिक तथा राजनीतिक लेखों की
संख्या अपरिमित है l
उनका जीवन एक सफल और सार्थक व्यक्ति का जीवन था l
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