' शत्रु से सतर्कता ही शूरवीरों को संसार में बड़े - बड़े काम करने के लिए सुरक्षित रखा करती है । '
' जाति - द्रोही विजातियों से अधिक भयंकर तथा दण्डनीय होता है । '
शिवाजी की सफल राजनीति से पराजित होकर बीजापुर का नवाब आदिलशाह और जल गया और अब उसने उनको छल से मरवा डालने की ठानी । उसे किसी विश्वासघाती की तलाश थी , उसे बाजी श्यामराज नाम का जाति - द्रोही मिल गया । आदिलशाह ने उसे धन और पद का लोभ दिया और वह उसी क्षेत्र में जाकर घात में लग गया जहाँ शिवाजी उस समय रह रहे थे ।
पूर्व के अनुभवों से शिवाजी सावधान थे , अत: उन्होंने किसी शत्रु पक्षीय अथवा अनबूझ व्यक्ति पर सहसा विश्वास कर लेना राजनीति में एक कमजोरी मान लिया था ।
उन्होंने गुप्तचरों द्वारा बाजी श्यामराज के रंग - ढंग का पता लगा लिया और तुरंत उस दुष्ट श्यामराज पर हमला कर दिया । कायर श्यामराज शिवाजी की मार खाकर जवाली के राजा चन्द्र्राव की सहायता से बच निकला और जंगलों की और भाग गया ।
राजा चन्द्रराव को चाहिए था कि उस जाति - द्रोही को बन्दी बनाकर शिवाजी को सौंप देता किन्तु वह स्वयं ही शिवाजी के अभ्युदय से जलता था । श्यामराज को सहायता के रूप में उसकी यह ईर्ष्या प्रकट हो गई ।
यह शिवाजी की महानता थी कि उन्होंने पहले उसे समझाया कि भारत को यवन सत्ता से मुक्त कराने में वह उनके झंडे के नीचे आ जाये किन्तु उस पर स्वार्थ हावी था , वह ईर्ष्या की आग में जल रहा था इसलिए शिवाजी की महानता को नहीं समझ सका ।
अत: शिवाजी ने जवाली पर आक्रमण कर उसे यह कह कर राज्य च्युत कर दिया कि देश के उद्धार में जो कायर राजा हाथ नहीं बंटा सकता उसे कोई अधिकार नहीं कि वह उसके किसी भूखंड पर शासन करे ।
उन्होंने जवाली के किलों तथा महावालेश्वर के मन्दिर का जीर्णोद्धार कराया और दो मील की दूरी पर प्रतापगढ़ नाम का एक नया किला और अपनी इष्ट देवी माँ भवानी का मन्दिर स्थापित किया ।
' जाति - द्रोही विजातियों से अधिक भयंकर तथा दण्डनीय होता है । '
शिवाजी की सफल राजनीति से पराजित होकर बीजापुर का नवाब आदिलशाह और जल गया और अब उसने उनको छल से मरवा डालने की ठानी । उसे किसी विश्वासघाती की तलाश थी , उसे बाजी श्यामराज नाम का जाति - द्रोही मिल गया । आदिलशाह ने उसे धन और पद का लोभ दिया और वह उसी क्षेत्र में जाकर घात में लग गया जहाँ शिवाजी उस समय रह रहे थे ।
पूर्व के अनुभवों से शिवाजी सावधान थे , अत: उन्होंने किसी शत्रु पक्षीय अथवा अनबूझ व्यक्ति पर सहसा विश्वास कर लेना राजनीति में एक कमजोरी मान लिया था ।
उन्होंने गुप्तचरों द्वारा बाजी श्यामराज के रंग - ढंग का पता लगा लिया और तुरंत उस दुष्ट श्यामराज पर हमला कर दिया । कायर श्यामराज शिवाजी की मार खाकर जवाली के राजा चन्द्र्राव की सहायता से बच निकला और जंगलों की और भाग गया ।
राजा चन्द्रराव को चाहिए था कि उस जाति - द्रोही को बन्दी बनाकर शिवाजी को सौंप देता किन्तु वह स्वयं ही शिवाजी के अभ्युदय से जलता था । श्यामराज को सहायता के रूप में उसकी यह ईर्ष्या प्रकट हो गई ।
यह शिवाजी की महानता थी कि उन्होंने पहले उसे समझाया कि भारत को यवन सत्ता से मुक्त कराने में वह उनके झंडे के नीचे आ जाये किन्तु उस पर स्वार्थ हावी था , वह ईर्ष्या की आग में जल रहा था इसलिए शिवाजी की महानता को नहीं समझ सका ।
अत: शिवाजी ने जवाली पर आक्रमण कर उसे यह कह कर राज्य च्युत कर दिया कि देश के उद्धार में जो कायर राजा हाथ नहीं बंटा सकता उसे कोई अधिकार नहीं कि वह उसके किसी भूखंड पर शासन करे ।
उन्होंने जवाली के किलों तथा महावालेश्वर के मन्दिर का जीर्णोद्धार कराया और दो मील की दूरी पर प्रतापगढ़ नाम का एक नया किला और अपनी इष्ट देवी माँ भवानी का मन्दिर स्थापित किया ।
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