कन्फ्यूशियस ( कुंग फुत्ज़ ) ने एक पुस्तक लिखी है ' बसंत और पतझड़ ' । इस पुस्तक में लिखा है ---- ' व्यक्ति कोई अच्छा कार्य करता है तो उसका स्वयं पर और समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है और बुरा काम करता है तो वह समाज में दुःख फैलाने के साथ स्वयं अपना कितना अहित करता है । ' चीन के लोग इसे बड़ा पवित्र मानते हैं और आज भी करोड़ों लोगों की उस पर श्रद्धा है । '
उनका कहना था --- सद्विचार ही मनुष्य को सत्कर्म करने के लिए प्रेरित करते हैं और सत्कर्म ही मनुष्य का मनुष्यत्व सिद्ध करते हैं । मनुष्य के विचार ही उसका वास्तविक स्वरुप होते हैं ।
ये विचार ही नये - नये मस्तिष्कों में घुसकर ह्रदय में प्रभाव जमाकर मनुष्य को देवता बना देते हैं और राक्षस भी । जैसे विचार होंगे मनुष्य वैसा ही बनता जायेगा ।
उनका कहना था --- सद्विचार ही मनुष्य को सत्कर्म करने के लिए प्रेरित करते हैं और सत्कर्म ही मनुष्य का मनुष्यत्व सिद्ध करते हैं । मनुष्य के विचार ही उसका वास्तविक स्वरुप होते हैं ।
ये विचार ही नये - नये मस्तिष्कों में घुसकर ह्रदय में प्रभाव जमाकर मनुष्य को देवता बना देते हैं और राक्षस भी । जैसे विचार होंगे मनुष्य वैसा ही बनता जायेगा ।
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