जो मनुष्य मर्यादा को त्याग कर दुराचार की और बढ़ते हैं , उससे उनका शरीर , मन , यश और धर्म सभी नष्ट होता है |
पुराणों में एक कथा है ----- रजा नहुष ने अपने पुरुषार्थ से इन्द्र पद प्राप्त किया | पद पाकर वे मदोन्मत हो गए और मर्यादाओं का उल्लंघन करने को उतारू हो गए | उन्होंने इन्द्र की पत्नी इन्द्राणी को अपने अंत:पुर में लाने की कुचेष्टा की |
इन्द्राणी ने कोई और मार्ग न देख एक तरकीब सोची --- और कहलाया कि यदि ऋषियों को पालकी में जोत कर और उसमे बैठकर नहुष उन्हें लिवाने आयें तो वे चलेंगी | अहंकारी नहुष ने वही किया , उसने ऋषियों को पालकी में जोता , उसमे बैठकर ऋषियों को जल्दी - जल्दी चलने के लिए धमकाने लगा | ऋषियों ने ऐसे अपमान से दुःखी होकर पालकी पटक दी और शाप देकर उसे सर्प बना दिया | नहुष की दुष्टता ही उसके पतन का करण बनी |
' कामुकता मनुष्य के पतन का कारण बनती है | दुष्ट लोग शक्ति पाकर उसे दुष्टता पूर्ण कार्यों में ही लगाते हैं | ये दुर्गुण ही उनके पतन का कारण बनते हैं |
पुराणों में एक कथा है ----- रजा नहुष ने अपने पुरुषार्थ से इन्द्र पद प्राप्त किया | पद पाकर वे मदोन्मत हो गए और मर्यादाओं का उल्लंघन करने को उतारू हो गए | उन्होंने इन्द्र की पत्नी इन्द्राणी को अपने अंत:पुर में लाने की कुचेष्टा की |
इन्द्राणी ने कोई और मार्ग न देख एक तरकीब सोची --- और कहलाया कि यदि ऋषियों को पालकी में जोत कर और उसमे बैठकर नहुष उन्हें लिवाने आयें तो वे चलेंगी | अहंकारी नहुष ने वही किया , उसने ऋषियों को पालकी में जोता , उसमे बैठकर ऋषियों को जल्दी - जल्दी चलने के लिए धमकाने लगा | ऋषियों ने ऐसे अपमान से दुःखी होकर पालकी पटक दी और शाप देकर उसे सर्प बना दिया | नहुष की दुष्टता ही उसके पतन का करण बनी |
' कामुकता मनुष्य के पतन का कारण बनती है | दुष्ट लोग शक्ति पाकर उसे दुष्टता पूर्ण कार्यों में ही लगाते हैं | ये दुर्गुण ही उनके पतन का कारण बनते हैं |
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