स्वामी विवेकानन्द ने भगिनी निवेदिता को भारत के निर्धनों की सेवा और निरक्षरों में ज्ञान ज्योति जगाने तथा भारतीय नारियों को जागृत करने की प्रेरणा दी थी । एक पत्र में भारत से उन्होंने लिखा था ----- " यह निश्चित है कि संसार को एक बार झकझोर डालने की सामर्थ्य तुम्हारे अन्दर सुप्त रूप से विद्दमान है । स्वाध्याय और साधना द्वारा उसे जागृत करने की मेरी हार्दिक इच्छा है ताकि तुम भारतीय नारियों को वर्तमान कुंठाओं और रूढ़िवादिता से बचाने में मेरे साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर काम कर सको । तुम्हे देखकर इस देश की महिलाएं अपने आपको भीतर से झकझोरेंगी और कहेंगी -- " यदि कोई विदेशी नारी इस धर्म और संस्कृति से प्रेरित होकर अपना सब कुछ त्याग सकती है तो हम क्यों पीछे रहें ? भारतीय संस्कृति के अभ्युत्थान और भावी संतति को तेजस्वी बनाने के पुण्य मिशन में हम क्यों पीछे रहें ? "
उनका कहना था आवश्यकता एक मनुष्य की नहीं एक महिला की है जो सिंहनी के समान हो ।
स्वामीजी का कहना था --- वह दिन कब होगा जब भारतीय नारियां अपनी कमजोरी को दूर कर अपना ध्येय पूरा करेंगी ।
उनका कहना था आवश्यकता एक मनुष्य की नहीं एक महिला की है जो सिंहनी के समान हो ।
स्वामीजी का कहना था --- वह दिन कब होगा जब भारतीय नारियां अपनी कमजोरी को दूर कर अपना ध्येय पूरा करेंगी ।
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