मनुष्य की संवेदनहीनता का सबसे बड़ा प्रमाण यही है कि वह अपनी पूरक --- नारी जाति पर युगों से अत्याचार करता आया है l यद्दपि नारियों की अवमानना समूचे विश्व में व्यापक रूप से अभी भी विद्दमान है , किन्तु अपने देश में यह विषबेल की तरह गहराई से लोगों के संस्कारों में समाई है l कन्या भ्रूण हत्या , दहेज़ हत्या , छोटी - छोटी बच्चियों का विभिन्न संस्थाओं में उत्पीड़न, छोटी बच्चियों के साथ दुष्कर्म व हत्या , कार्यालयों में नारी उत्पीड़न--- ये सब घटनाएँ सिद्ध करती हैं कि हमने किसी नए वर्ष में कभी प्रवेश ही नहीं किया , संवेदना के अभाव में मनुष्य पशु से भी बदतर राक्षस हो गया है l चेतना के स्तर पर कोई विकास नहीं हुआ l
तमाम क़ानूनी बंदिशों , विभिन्न नियम - कानूनों के बावजूद बालिका - कन्याओं का उत्पीड़न, हत्याएं आज भी जारी हैं l कन्याओं की निर्मम हत्याएं सदियों से मनुष्य अपने अहंकार की पूर्ति के लिए करता आया है l ये कुरीतियाँ मनुष्य के स्वभाव में जिस स्थान पर जड़ जमाए बैठी हैं , वहां से इन्हें हटाना - मिटाना इतना आसान नहीं है l इस अमानवीयता को समाप्त करने का एक ही रास्ता है ---- आत्मपरिष्कार l जब लोगों की मानसिकता परिष्कृत होगी , लोग समझेंगे कि धर्म का सार -- संवेदना है , तभी मनुष्य सच्चे अर्थों में मनुष्य होगा l
महात्मा गाँधी ने कहा था ---' भारत की दासता मानसिक है , वह कुप्रथाओं में बुरी तरह फंसा हुआ है l छुआछूत और नारी अवहेलना -- ये दो इतने भारी पातक हैं जो भारतीय समाज को खोखला करते जा रहे हैं , इन्हें हटाए - मिटाए बिना स्वाधीनता विशेष अर्थ नहीं रखती l
तमाम क़ानूनी बंदिशों , विभिन्न नियम - कानूनों के बावजूद बालिका - कन्याओं का उत्पीड़न, हत्याएं आज भी जारी हैं l कन्याओं की निर्मम हत्याएं सदियों से मनुष्य अपने अहंकार की पूर्ति के लिए करता आया है l ये कुरीतियाँ मनुष्य के स्वभाव में जिस स्थान पर जड़ जमाए बैठी हैं , वहां से इन्हें हटाना - मिटाना इतना आसान नहीं है l इस अमानवीयता को समाप्त करने का एक ही रास्ता है ---- आत्मपरिष्कार l जब लोगों की मानसिकता परिष्कृत होगी , लोग समझेंगे कि धर्म का सार -- संवेदना है , तभी मनुष्य सच्चे अर्थों में मनुष्य होगा l
महात्मा गाँधी ने कहा था ---' भारत की दासता मानसिक है , वह कुप्रथाओं में बुरी तरह फंसा हुआ है l छुआछूत और नारी अवहेलना -- ये दो इतने भारी पातक हैं जो भारतीय समाज को खोखला करते जा रहे हैं , इन्हें हटाए - मिटाए बिना स्वाधीनता विशेष अर्थ नहीं रखती l