गोस्वामी जी कहते हैं कि---- निंदा हिंसा से भी बढ़कर है l जिसके भी दोषों का हम चिंतन करते हैं हमारा मन उससे तदाकार हो जाता है | उसके दोष भी हमारे अन्दर आ जाते हैं |
मैथिलीशरण गुप्त प्रसिद्ध साहित्यकार चिरगांव , झाँसी के थे l पंडित नेहरु ने उन्हें राज्य सभा के सदस्य के रूप में नामित कर दिल्ली बुला लिया l उनका यहाँ मन नहीं लगा l वे कहते थे कि यहाँ दिल्ली में हमारा रहना संभव नहीं l यहाँ तो लोग सबेरे उठकर चाय की चुस्कियों से दूसरों की ----सारे समाज की निंदा करते हैं ---- अखबार पढ़ते पढ़ते भी बुराई ! और सामने आते ही मुस्कराहट भरी तारीफ करते हैं l भई ! हमसे तो नहीं निभेगा l हमारा गाँव ठीक है , वहां सब निर्मल ह्रदय के तो हैं l काव्य रचयिता वह इतिहास पुरुष दिल्ली से वापस चले गए l
मैथिलीशरण गुप्त प्रसिद्ध साहित्यकार चिरगांव , झाँसी के थे l पंडित नेहरु ने उन्हें राज्य सभा के सदस्य के रूप में नामित कर दिल्ली बुला लिया l उनका यहाँ मन नहीं लगा l वे कहते थे कि यहाँ दिल्ली में हमारा रहना संभव नहीं l यहाँ तो लोग सबेरे उठकर चाय की चुस्कियों से दूसरों की ----सारे समाज की निंदा करते हैं ---- अखबार पढ़ते पढ़ते भी बुराई ! और सामने आते ही मुस्कराहट भरी तारीफ करते हैं l भई ! हमसे तो नहीं निभेगा l हमारा गाँव ठीक है , वहां सब निर्मल ह्रदय के तो हैं l काव्य रचयिता वह इतिहास पुरुष दिल्ली से वापस चले गए l
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